"केवल अष्टकूट मिलान पर्याप्त नहीं होता", यह बात कई लोग नहीं समझते और शादी जैसे जीवन के सबसे बड़े फैसले को सिर्फ गुण मिलान के आधार पर तय कर देते हैं। जबकि असली खेल जन्म कुंडली में छिपे योगों का होता है।
सिर्फ 36 गुण नहीं, असली ग्रह-योगों को समझने की जागरूकता हो।
🔥 "36 गुण मिल भी जाएं तो क्या? जब कुंडली के योग धोखा, तलाक और कोर्ट केस के संकेत दें – एक सच्चे उदाहरण से समझिए"
📘 प्रस्तावना:
"क्या केवल अष्टकूट मिलान से सफल विवाह की गारंटी मिलती है?"
बहुत से लोग यही मानते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि 36/36 गुण मिलने के बावजूद वैवाहिक जीवन टूट जाता है, कोर्ट-कचहरी, झगड़े, और यहां तक कि मानसिक उत्पीड़न भी हो जाता है।
इस लेख में हम एक कन्या लग्न की लड़की की कुंडली के उदाहरण से यह समझेंगे कि कैसे कुछ विशेष योग विवाह के बाद अत्यधिक तनाव, Extra-Marital Affairs, पति से धोखा, और तलाक की संभावना दिखाते हैं, भले ही अष्टकूट मिलान उत्तम हो।
🔍 मूल विषय का सारांश
1. लग्न में अष्टमेश मंगल और राहु का योग:
- अत्यधिक गुस्सा, शॉर्ट टेंपर, आत्म-नियंत्रण की कमी।
- राहु-मंगल का योग मानसिक अस्थिरता और अप्रत्याशित व्यवहार को दर्शाता है।
2. सप्तम भाव में शनि और केतु:
- वैवाहिक जीवन में निराशा, ठंडा रिश्ता, दूरी की भावना।
- Ketu एक सेपरेशन देने वाला ग्रह है — जिससे विवाह में भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता।
3. सप्तमेश गुरु नीच और वक्री होकर पंचमेश से परिवर्तन:
- लव मैरिज के योग हैं, लेकिन लव फेलियर का संकेत भी है।
- नीच सप्तमेश दर्शाता है कि पति से मानसिक या भावनात्मक दूरी रहेगी।
4. तीसरे भाव में नीच चंद्रमा:
- नीच चंद्रमा मानसिक अस्थिरता, पूर्व के संबंधों की स्मृति, और गलत निर्णय दर्शाता है।
5. नवम भाव का बुध और दशम भाव का शुक्र परिवर्तन:
- कार्यक्षेत्र में संबंधों के योग, प्रेम-प्रसंग workplace पर।
- यह योग विवाहेतर संबंध (Extra-marital affairs) की संभावना को बल देता है।
6. नवांश कुंडली में सप्तम भाव में नीच चंद्र और पाप कर्तरी योग:
- विवाह के बाद भी वैवाहिक सुख की कमी।
- नवांश सपष्ट संकेत देता है कि विवाह जीवन संतुलित नहीं होगा।
🚩 निष्कर्ष:
केवल अष्टकूट मिलान (गुण मिलान) से विवाह तय करना बहुत बड़ी भूल हो सकती है।
जन्म कुंडली में बने ग्रह-योग असली तस्वीर दिखाते हैं – कहीं ऐसा तो नहीं कि सामने वाला व्यक्ति रिश्तों में ईमानदार नहीं होगा? क्या वह मानसिक रूप से स्थिर है? क्या उसके जीवन में पहले से प्रेम संबंध रहे हैं? क्या विवाह के बाद भी संबंधों की समस्या बनी रहेगी?
✅ अगर कुंडली में सप्तम भाव, सप्तमेश, शुक्र, चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रह पीड़ित हैं,
✅ अगर राहु-केतु या शनि जैसे ग्रह वैवाहिक भाव पर असर डालते हैं,
✅ अगर नवांश कुंडली में सप्तम भाव अशुभ स्थिति में है —
तो चाहे 36 में से 36 गुण भी क्यों न मिलें, ऐसे विवाह को टालना ही बेहतर होता है।
📣 CTA (Call to Action):
💠 अपने बेटे या बेटी की शादी से पहले केवल गुण मिलान न करें, संपूर्ण कुंडली का गहराई से विश्लेषण ज़रूर कराएं।
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