अवैध संबंध (Extra-Marital Affairs): कारण, ज्योतिषीय संकेत और बचाव के उपाय
"चरित्र खो गया तो सब कुछ खो गया!"
अंग्रेज़ी में एक प्रसिद्ध कहावत है:
"If money is lost, nothing is lost. If health is lost, something is lost. But if character is lost, everything is lost."
चरित्र ही इंसान का सबसे बड़ा गहना है, जो उसे समाज में मान-सम्मान दिलाता है। लेकिन जब कोई व्यक्ति चरित्रहीन हो जाता है, तो समाज उसे तिरस्कार की दृष्टि से देखने लगता है।
अवैध संबंधों का मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव
विवाहित जीवन में जब कोई पति या पत्नी अपने साथी से छुपकर किसी और के साथ भावनात्मक या शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे "Extra-Marital Affair (EMA)" कहा जाता है। यह एक प्रकार का विश्वासघात होता है, जो रिश्ते में दरार डाल सकता है और कई बार घरेलू हिंसा, हत्या, या कानूनी लड़ाई का कारण भी बन सकता है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह केवल व्यक्तिगत इच्छाओं का परिणाम है, या इसके पीछे कोई ज्योतिषीय संकेत भी छुपे होते हैं?
ज्योतिष के अनुसार अवैध संबंधों के प्रमुख कारण
ज्योतिष में, ग्रहों की विशेष स्थितियाँ किसी जातक के जीवन में अवैध संबंधों की संभावना को बढ़ा सकती हैं। यदि किसी कुंडली में निम्नलिखित योग पाए जाते हैं, तो उस व्यक्ति के ईएमए में शामिल होने की संभावना अधिक होती है:
1️⃣ सातवें भाव में शुक्र और मंगल की युति हो और उस पर 12वें भाव के स्वामी सूर्य की दृष्टि हो।
> 👉 यदि गुरु की दृष्टि नहीं है, तो यह योग 100% अवैध संबंध दर्शाता है।
2️⃣ यदि शनि और चंद्रमा की युति सातवें भाव में हो और उस पर मंगल की दृष्टि हो।
> 👉 ऐसा जातक विवाह के बाद भी प्रेम-प्रसंग में पड़ सकता है।
3️⃣ यदि शुक्र के ठीक अपोजिट सातवें भाव में शनि और मंगल बैठे हों।
> 👉 यह योग विशेष रूप से शादी के बाद संबंध विच्छेद (Divorce) और अवैध संबंध की संभावना को दर्शाता है।
4️⃣ यदि लग्न का स्वामी 12वें भाव में हो और उसके साथ राहु या मंगल बैठा हो।
> 👉 ऐसा जातक अक्सर समाज के नियमों को तोड़कर रिश्तों में शामिल होता है।
5️⃣ यदि कुंडली में चंद्रमा और शुक्र की युति निम्नलिखित स्थितियों में हो:
✔ (5.1) चंद्रमा से दसवें स्थान पर शुक्र बैठा हो – ऐसा व्यक्ति विपरीत लिंग की ओर अत्यधिक आकर्षित रहता है।
✔ (5.2) चंद्रमा-शनि की युति हो – यह योग जातक को चरित्र के प्रति लापरवाह बना सकता है।
✔ (5.3) यदि चंद्रमा "पाप कतरी योग" में हो (अर्थात चंद्रमा के आगे और पीछे पाप ग्रह हों) – जातक में मानसिक भटकाव आ सकता है।
6️⃣ यदि पाँचवें भाव में शुक्र, शनि, मंगल, या राहु की युति हो।
> 👉 यह प्रेम संबंधों में अस्थिरता और विवाहेत्तर संबंध का संकेत देता है।
7️⃣ यदि कुंडली में 1st, 5th, 7th, 8th, 11th और 12th भाव में निम्नलिखित युतियाँ हों और उन पर गुरु की दृष्टि न हो:
✔ शुक्र + मंगल
✔ शनि + चंद्रमा
✔ शुक्र + राहु
> 👉 यदि इन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो, तो जातक निश्चित रूप से ईएमए में लिप्त होगा।
8️⃣ यदि चंद्रमा, मंगल, और शुक्र सातवें या 12वें भाव में हों।
✔ यदि 12वें भाव में सूर्य, मंगल और राहु हों – महिला जातक के लिए चरित्र रक्षा कठिन हो सकती है।
9️⃣ यदि कुंडली में मांगलिक दोष हो (1, 4, 7, 8, 12वें भाव में मंगल के साथ सूर्य, शनि, या राहु हों)।
> 👉 यह जातक को गलत राह पर ले जा सकता है।
🔟 यदि 7th, 8th, और 10th भाव में बुध-शुक्र की युति हो।
> 👉 जातक का स्वभाव भोग-विलास की ओर अधिक झुका रहेगा।